हाई कोर्ट का फैसला: GST अधिकारियों को व्यवसायिक परिसर से Cash जब्त करने का अधिकार नहीं

हाई कोर्ट का फैसला: GST अधिकारियों को व्यवसायिक परिसर से Cash जब्त करने का अधिकार नहीं

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GST से जुड़े मामलों में अधिकारियों की सीमाओं और करदाताओं के अधिकारों की स्पष्टता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। हाल ही में, केरल उच्च न्यायालय ने एक निर्णय सुनाया जो इस संदर्भ में एक मिसाल बन सकता है। इस मामले में, GST अधिकारियों द्वारा व्यवसायिक परिसर से Cash जब्त करने की वैधता को चुनौती दी गई। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि GST अधिनियम, 2017 की धारा 74 के तहत Cash को जब्त करने की शक्ति अधिकारियों को नहीं दी गई है

यह निर्णय न केवल GST प्रशासन के दायरे को परिभाषित करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि अधिकारियों द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 265 और 300A के तहत जांचा जा सकता है। इसके अलावा, यह Income Tax अधिनियम, 1961 की धारा 132A के तहत किए गए हस्तांतरण की भी समीक्षा करता है, जिससे स्पष्ट होता है कि अवैध रूप से जब्त संपत्ति को वैध नहीं ठहराया जा सकता

इस लेख में, हम इस महत्वपूर्ण निर्णय का विश्लेषण करेंगे और व्यवसायों व कर अधिकारियों के लिए इससे जुड़े प्रमुख निष्कर्षों को प्रस्तुत करेंगे।

मामला संक्षेप

मामला शीर्षक: Centre C Edtech (P.) Ltd. बनाम Intelligence Officer, State GST Department, Kerala

अदालत: केरल उच्च न्यायालय
न्यायाधीश: डॉ. ए.के. जयशंकरन नांबियार एवं ईश्वरन एस.
रिट अपील संख्या: WA No. 1934 और 1962 / 2024
निर्णय की तिथि: 27 जनवरी 2025

प्रमुख कानूनी प्रश्न:

  1. क्या GST अधिकारी CGST अधिनियम की धारा 74 के अंतर्गत Cash जब्त कर सकते हैं?
  2. क्या Income Tax अधिनियम, 1961 की धारा 132A के तहत Cash का स्थानांतरण प्रारंभिक जब्ती को वैध बना सकता है?

मामले के तथ्य

  1. GST अधिकारियों ने CGST/SGST अधिनियम की धारा 74 के अंतर्गत ₹39,70,760 जब्त किए। यह जब्ती व्यवसायिक परिसर में रखी नकदी को लेकर की गई थी।
  2. जब्त की गई राशि को जिला ट्रेजरी में रखा गया, लेकिन बाद में इसे Income Tax विभाग को स्थानांतरित कर दिया गया। यह स्थानांतरण धारा 132A, Income Tax अधिनियम, 1961 के तहत किया गया था।
  3. करदाता ने इस जब्ती को अदालत में चुनौती दी, यह तर्क देते हुए कि GST अधिकारी केवल सामान, दस्तावेज़ या अन्य परिसंपत्तियों को जब्त कर सकते हैं, लेकिन नकदी नहीं
  4. राज्य सरकार ने अदालत में दलील दी कि नकदी को वैध रूप से जब्त किया गया था, और Income Tax विभाग को सौंपने के बाद इसे अवैध नहीं माना जाना चाहिए
  5. अदालत ने यह पाया कि प्रारंभिक जब्ती गैरकानूनी थी, और Income Tax विभाग को धनराशि वापस करने का निर्देश दिया

अदालत का निर्णय

1. GST अधिकारी केवल Stock-in-Trade के रूप में Cash जब्त कर सकते हैं

  • CGST अधिनियम की धारा 74 के तहत, GST अधिकारी केवल माल, दस्तावेज़ या अन्य वस्तुएं जब्त कर सकते हैं, Cash नहीं।
  • यह निर्णय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 265 और 300A के अनुरूप है।

2. Income Tax विभाग को स्थानांतरण अवैध जब्ती को वैध नहीं बनाता

  • धारा 132A, IT अधिनियम के अंतर्गत Cash का स्थानांतरण प्रारंभिक अवैध जब्ती को कानूनी नहीं बना सकता।

3. अदालत अवैध रूप से जब्त की गई रकम को छोड़ने का आदेश दे सकती है

  • कोर्ट ने आदेश दिया कि ₹39,70,760 करदाता को 10 दिनों के भीतर वापस किया जाए।
  • GST और Income Tax विभाग को अपनी स्वतंत्र कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी गई।

कानूनी पहलू और धारा-वार विश्लेषण

1. CGST अधिनियम, 2017 की धारा 74

  • कर निर्धारण और धोखाधड़ी की जांच के लिए लागू।
  • केवल कर देनदारी की पुष्टि होने के बाद ही कार्रवाई की जा सकती है।
  • Cash जब्ती की अनुमति नहीं देता, जब तक कि वह Stock-in-Trade का हिस्सा न हो।
  • अधिकारियों को करदाता को सुनवाई का उचित अवसर देना आवश्यक है।

2. CGST अधिनियम, 2017 की धारा 67

  • निरीक्षण, तलाशी और जब्ती से संबंधित प्रावधान।
  • इस धारा के अंतर्गत वस्तुओं, दस्तावेजों और संपत्तियों की जब्ती संभव है, लेकिन Cash की जब्ती स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है।
  • यह धारा तब लागू होती है जब यह संदेह हो कि कर चोरी हुई है या कागजी अनियमितता है।
  • GST अधिकारी कर चोरी के स्पष्ट प्रमाणों के बिना कोई कठोर कार्रवाई नहीं कर सकते।

3. Income Tax अधिनियम, 1961 की धारा 132A

  • यह धारा आयकर विभाग को संदेहास्पद परिसंपत्तियों को जब्त करने की शक्ति देती है।
  • यदि Income Tax विभाग को संदेह है कि किसी व्यक्ति के पास अघोषित संपत्ति है, तो वे इसे अपने अधिकार में ले सकते हैं।
  • हालांकि, GST विभाग द्वारा अवैध रूप से जब्त की गई Cash को Income Tax विभाग को हस्तांतरित करना इस धारा के तहत वैध नहीं ठहराया जा सकता।
  • करदाताओं को इस धारा के अंतर्गत अपना पक्ष रखने का अधिकार है।

4. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 265 और 300A

  • अनुच्छेद 265: "कोई भी कर कानून द्वारा अधिकृत किए बिना नहीं लगाया या वसूला जाएगा।" इसका अर्थ है कि सरकार किसी भी नागरिक से जबरन कर वसूली नहीं कर सकती, जब तक कि वह कानूनी रूप से मान्य न हो।
  • अनुच्छेद 300A: "कोई भी व्यक्ति कानून के प्राधिकार के बिना अपनी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा।" यह अनुच्छेद नागरिकों को उनकी संपत्ति पर स्वामित्व का संवैधानिक अधिकार प्रदान करता है और अवैध जब्ती को चुनौती देने का अवसर देता है।
  • इस मामले में, अदालत ने इन्हीं संवैधानिक अनुच्छेदों का हवाला देते हुए करदाता के पक्ष में निर्णय सुनाया।

व्यवसायों और कर अधिकारियों के लिए मुख्य निष्कर्ष

व्यवसायों और करदाताओं के लिए:

GST अधिकारी किसी भी परिस्थिति में Cash जब्त नहीं कर सकते, जब तक कि वह व्यवसाय के स्टॉक-इन-ट्रेड का हिस्सा न हो। ✔ अगर आपका Cash अवैध रूप से जब्त किया जाता है, तो आपको तुरंत कानूनी सलाह लेनी चाहिए और अदालत में चुनौती देनी चाहिए। ✔ व्यवसायों को अपने वित्तीय लेन-देन का पूरा रिकॉर्ड रखना चाहिए, जिससे किसी भी अनावश्यक जांच या जब्ती से बचा जा सके। ✔ यदि GST अधिकारी निरीक्षण के लिए आते हैं, तो उन्हें केवल कानूनी रूप से अनुमत दस्तावेज और इन्वेंट्री तक पहुंच प्रदान करें और किसी भी अवैध मांग का विरोध करें। ✔ अदालत द्वारा दिए गए इस फैसले को व्यवसाय जगत में एक मिसाल के रूप में देखना चाहिए और भविष्य में अपने अधिकारों को लेकर सतर्क रहना चाहिए।

GST और कर अधिकारियों के लिए:

केवल उन्हीं संपत्तियों को जब्त करें जो CGST अधिनियम की धारा 74 और 67 के तहत स्पष्ट रूप से अनुमत हैं।GST जांच में जब्ती की कार्रवाई करने से पहले विधिक परामर्श लें और सुनिश्चित करें कि कार्रवाई कानून के अनुरूप हो।Income Tax विभाग और अन्य कर विभागों के साथ समन्वय बनाकर कार्य करें, लेकिन किसी भी अवैध जब्ती को वैध ठहराने के लिए गलत प्रथाओं का पालन न करें। ✔ अधिकारियों को करदाताओं के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और अपनी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। ✔ इस निर्णय को ध्यान में रखते हुए अपनी जांच प्रक्रियाओं को अद्यतन करें, ताकि भविष्य में ऐसे अवैध जब्ती मामलों से बचा जा सके।

निष्कर्ष

केरल उच्च न्यायालय का यह निर्णय करदाताओं और GST अधिकारियों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करता हैयह निर्णय स्पष्ट करता है कि बिना कानूनी अधिकार के कोई संपत्ति जब्त नहीं की जा सकती। व्यवसायों को अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए और अवैध जब्ती की स्थिति में न्यायालय का सहारा लेना चाहिए

यह फैसला करदाताओं को सुरक्षा प्रदान करता है और सुनिश्चित करता है कि कर वसूली केवल कानूनी दायरे में हो।

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