नागपुर में ₹156 करोड़ का GST Scam उजागर: नकली कंपनियाँ और Bogus Invoices बनाने के आरोप में 5 गिरफ्तार
मई 2025 के मध्य में नागपुर की Crime Branch ने ₹156 करोड़ के एक बड़े Goods and Services Tax (GST) घोटाले का पर्दाफाश किया। यह घोटाला लगभग 60–70 shell companies के जाल के माध्यम से किया गया था। इस syndicate का नेतृत्व कुछ स्थानीय व्यापारियों के समूह ने किया, जिन्होंने भोले-भाले लोगों के व्यक्तिगत दस्तावेज — विशेष रूप से PAN और Aadhaar cards — का दुरुपयोग करके नकली कंपनियाँ बनाई और bogus invoices तैयार किए।
इस घोटाले में illegal hawala transactions, fraudulent GST refund claims, और online gaming revenue laundering भी शामिल थे। कोलकाता के व्यापारी Biswajeet Roy की शिकायत के बाद, एक समन्वित overnight raid में 5 मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। जांच में अब तक 175 से अधिक कंपनियाँ संदेह के घेरे में हैं। बड़ी मात्रा में नकद और डिजिटल सबूत जब्त किए गए हैं, साथ ही परिवहन और लेखांकन रिकॉर्ड का भी खुलासा हुआ है।
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घोटाले का पर्दाफाश कैसे हुआ: यह मामला सामने आया जब Biswajeet Roy (पश्चिम बंगाल निवासी) ने Lakadganj Police Station में मई 2025 में शिकायत दर्ज कराई कि उनके PAN और Aadhaar विवरण का दुरुपयोग कर उनके नाम पर Kshitij Enterprises नाम की एक कंपनी बना दी गई है। जून 2024 में नौकरी और छोटे व्यापार के बहाने उन्हें नागपुर बुलाया गया था। बाद में उन्हें पता चला कि सितंबर से दिसंबर 2024 के बीच उनके नाम से बनी shell company के जरिए लगभग ₹96.39 करोड़ की फर्जी लेन-देन की गई।
इसी प्रकार की एक और शिकायत Mithun Rajpande ने की, जिसमें बताया गया कि उनके नाम से Avadh Enterprises नाम की दूसरी नकली फर्म बनाकर ₹59.51 करोड़ की हेराफेरी की गई।
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Modus Operandi (कार्यप्रणाली): जांच में सामने आया कि इस syndicate ने लगभग 60–70 नकली कंपनियाँ बनाई थीं, जिनमें मजदूरों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया — जिनमें से कई लोगों को यह भी नहीं पता था कि उनके नाम का दुरुपयोग हो रहा है। इन shell companies ने 170 से अधिक legitimate businesses को fictitious invoices जारी किए, जिससे आरोपियों को fraudulent GST refunds क्लेम करने का अवसर मिला।
पैसे को hawala networks और online gaming platforms के माध्यम से launder किया गया। यह धनराशि bank accounts में भेजी जाती थी और फिर नकद में निकाली जाती थी। इसका कुछ हिस्सा सहयोगी buyers को वापस भेजा जाता था, जिससे यह अवैध चक्र चलता रहता था।
पीड़ितों का बयान: Roy, जो एक स्कूल ड्रॉपआउट हैं और पिता की मृत्यु के बाद आर्थिक संकट में थे, ने बताया कि आरोपियों ने पहले उन्हें ₹25,000 दिए और एक godown में रहने की जगह दी ताकि उनका विश्वास जीता जा सके। उन्हें अंजाने में कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए गए, जिनमें “monthly returns” दाखिल करने के लिए सहमति भी शामिल थी — ये सब मिलकर उनके नाम से बड़े पैमाने पर invoice fraud को छुपाने का जरिया बने।
Rajpande के साथ भी यही तरीका अपनाया गया। उन्होंने सोचा कि वे एक असली trading venture में भागीदार बन रहे हैं, पर वास्तव में उनकी पहचान का उपयोग fake bill generation के लिए किया गया।
जांच और गिरफ्तारियाँ: एक तेज़ कार्रवाई के तहत Crime Branch की नौ टीमों ने नागपुर में 11 स्थानों पर एक साथ raids कीं और पाँच प्रमुख व्यक्तियों को गिरफ्तार किया:
- Bunty
(Santosh) Rampal Sahu
- Jayesh
Rampal Sahu
- Anand
Vinod Harde
- Rishi
Hitesh Lakhani
- Brijkishor
Ramniwas Manihar
इन्हें 18 मई 2025 को नागपुर की अदालत में पेश किया गया और 22 मई तक police custody में भेजा गया। इस ऑपरेशन का नेतृत्व Senior Inspector Kamlakar Gaddime ने DCP Crime Rahul Maknikar और CP Ravinder Singal के निर्देश में किया।
जब्त साक्ष्य और आगे की जांच: अधिकारियों ने ₹24 लाख से अधिक नकद और ₹41 लाख से अधिक की संपत्ति (जैसे laptops, pen drives, और financial records) जब्त की। Digital forensics teams डाटा निकालने में लगी हैं ताकि पूरे अपराध का नक्शा तैयार किया जा सके। Transport departments को बुलाया गया है ताकि vehicle movement bills की सत्यता की पुष्टि की जा सके।
SIM cards भी
नकली दस्तावेज़ों से लिए गए
पाए गए, जिससे online gaming और hawala syndicates में इनके और
संबंध सामने आए हैं। 175 से
अधिक कंपनियों को अब suspicious transactions के तहत चिह्नित
किया गया है, और
जांच तेजी से आगे
बढ़ रही है।
आरोपियों
की प्रोफाइल
- Bunty
(Santosh) Rampal Sahu (52): मुख्य
साजिशकर्ता, जिनके खिलाफ महाराष्ट्र में पहले भी कई छोटे अपराधों के मामले दर्ज हैं।
- Jayesh
Rampal Sahu (36): Bunty के
भाई और document
fabrication में
सहायक।
- Brijkishor
Ramniwas Manihar (59): स्वयंभू
“GST tax consultant,” जो
invoice schemes और
hawala networks से
जुड़ाव में प्रमुख भूमिका निभा रहे थे।
- Rishi
Hitesh Lakhani (21) और
Anand Vinod Harde (33): बैंकिंग
लेन-देन और नकद निकासी का कार्य संभालते थे।
अन्य आरोपी जैसे Avinash Sahu, Rajesh Sahu, और Anshul Mishra फरार हैं और उनके विरुद्ध arrest warrants जारी हैं।
कर व्यवस्था पर प्रभाव और भविष्य की रणनीति: यह मामला GST compliance प्रणाली में मौजूद कमजोरियों को उजागर करता है, विशेषकर new registrants की verification और refund claims की निगरानी में। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, GST Department अब risk-based compliance checks को और कड़ा करेगा और real-time data analytics को लागू करेगा ताकि invoice patterns में विसंगतियों का तुरंत पता लगाया जा सके।
Financial intelligence units राज्य एजेंसियों के साथ मिलकर hawala channels पर कार्रवाई कर रही हैं, जिनका उपयोग इस प्रकार के fraudsters द्वारा किया गया।
निष्कर्ष: नागपुर में ₹156 करोड़ का यह GST fraud एक गंभीर white-collar crime का उदाहरण है, जिसमें नियामक खामियों और गरीबों की पहचान का दुरुपयोग किया गया। Crime Branch की तत्पर कार्रवाई से महत्वपूर्ण गिरफ्तारियाँ और सबूत मिले हैं, लेकिन ऐसे अपराधों की जटिलता को देखते हुए tax authorities, banks, transporters, और businesses को लगातार सतर्क रहना होगा। इस मामले से मिली सीख भविष्य में भारत की GST architecture को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगी।
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