नया ITR-3 फॉर्म FY 2024-25 के लिए जारी – सभी Taxpayers को जानना ज़रूरी

🧾 नया ITR-3 फॉर्म FY 2024-25 के लिए जारी – सभी Taxpayers को जानना ज़रूरी

Income Tax Department ने Financial Year 2024-25 (Assessment Year 2025-26) के लिए नया ITR-3 फॉर्म जारी कर दिया है। यह फॉर्म उन individuals और Hindu Undivided Families (HUFs) के लिए होता है जिनकी आय Business या Profession से होती है, और जो Presumptive Taxation Scheme का विकल्प नहीं चुनते हैं। इस बार कई बदलाव शामिल किए गए हैं, जिनका उद्देश्य Return Filing को सटीक, सरल और तकनीकी रूप से अपडेटेड बनाना है।


🔹1. Assets और Liabilities की Reporting का Threshold ₹50 लाख से बढ़कर ₹1 करोड़

पहले क्या था: यदि आपकी Taxable Income ₹50 लाख से ज़्यादा होती थी, तो आपको अपनी Net Worth दिखानी होती थी — यानी कि आपने कितनी संपत्ति अर्जित की है (जैसे – मकान, ज़मीन, गहने, वाहन) और कितनी देनदारी है (लोन, उधार इत्यादि)। यह जानकारी Balance Sheet में दी जाती थी।

अब क्या हुआ: FY 2024-25 से यह सीमा ₹1 करोड़ कर दी गई है। यानी अब सिर्फ उन्हें ही अपनी Assets और Liabilities की जानकारी देनी होगी जिनकी Taxable Income ₹1 करोड़ से अधिक है।

इसका फायदा: इससे Professionals और छोटे कारोबारियों को Compliance में राहत मिलेगी, क्योंकि उन्हें Balance Sheet की विस्तृत जानकारी देने की ज़रूरत नहीं होगी।

उदाहरण: अगर किसी डॉक्टर की कुल Taxable Income ₹75 लाख है, तो अब उन्हें अपनी संपत्तियों और लोन की जानकारी ITR-3 में देने की आवश्यकता नहीं है।

🔹2. Capital Gains में अब Date के आधार पर Detailed Reporting

Background: सरकार ने हाल ही में Long Term Capital Gains (LTCG) पर एक नया टैक्स विकल्प लागू किया है — जिसमें बिना Indexation Benefit के 12.5% टैक्स लगाया जाएगा, लेकिन ये विकल्प केवल 23 जुलाई 2024 के बाद बेची गई संपत्ति पर लागू होगा।

नई व्यवस्था: अगर आपने FY 2024-25 में कोई Real Estate संपत्ति बेची है, तो आपको ITR में बताना होगा कि यह सौदा 23 जुलाई 2024 से पहले हुआ या बाद में। साथ ही, आपको यह भी चुनना होगा कि आप Indexation के साथ पुराने टैक्स विकल्प में हैं या नए Fixed Rate 12.5% विकल्प को अपनाया है।

इसका लाभ: इससे Tax Department को यह ट्रैक करने में आसानी होगी कि कौन-से Taxpayer ने नया विकल्प चुना है, और कौन-से पुराने नियम के अनुसार टैक्स भर रहे हैं।

उदाहरण: आपने एक फ्लैट 15 अगस्त 2024 को बेचा और नया विकल्प चुना — अब आपको इस बिक्री की तारीख और नए विकल्प की जानकारी स्पष्ट रूप से देनी होगी।

🔹3. Section 80C, 80D, 80G जैसी Deductions का चयन अब Dropdown से होगा

पहले: Taxpayers को अपनी Deduction Claimed (जैसे LIC प्रीमियम, PF योगदान, बच्चों की ट्यूशन फीस) Section 80C के तहत खुद भरनी होती थी और कई बार गलतियाँ हो जाती थीं।

अब: ITR-3 में Dropdown Menu का विकल्प जोड़ा गया है जिससे आप Deductions को Section के अनुसार चुन सकते हैं — जैसे:

  • Section 80C: LIC, PPF, ELSS
  • Section 80D: Health Insurance
  • Section 80G: Donations

इसका उद्देश्य: टैक्स फॉर्म को ज़्यादा Structured बनाना और Manual Mistakes को कम करना।

उदाहरण: अगर आपने PPF और LIC में निवेश किया है, तो Dropdown से केवल PPF और LIC को टिक करना होगा — पूरा Section 80C नहीं लिखना पड़ेगा।

🔹4. Agniveers के लिए Section 80CCH के तहत विशेष Deduction

क्यों जोड़ा गया: सरकार ने रक्षा बलों में भर्ती के लिए Agnipath Scheme शुरू की है। इसमें शामिल होने वाले युवाओं को Agniveer Corpus Fund में योगदान करना होता है।

नया प्रावधान: अब जो व्यक्ति 1 नवंबर 2022 के बाद Agnipath Scheme में भर्ती हुए हैं, वे Section 80CCH के तहत इस फंड में किए गए निवेश को Deductible Income में दिखा सकते हैं।

फायदा: यह Scheme में भर्ती सैनिकों के लिए एक Retirement Benefit की तरह कार्य करेगी और टैक्स में बचत भी देगी।

उदाहरण: अगर किसी Agniveer ने ₹1.5 लाख Agniveer Corpus Fund में जमा किया, तो वह Section 80CCH के तहत पूरी राशि को Deduction के रूप में क्लेम कर सकता है।

🔹5. Section 80U – विकलांगता से प्रभावित व्यक्तियों के लिए Friendly Format

पहले: विकलांगता से प्रभावित व्यक्तियों को Deduction क्लेम करते समय Documentation को लेकर काफी Confusion रहता था।

अब: ITR-3 में Section 80U के लिए अलग फॉर्मेट दिया गया है, जिसमें आपको Disability का Type, Medical Certificate की Details, और Disability Percentage दर्ज करना होगा।

Tax Benefit:

  • 40%–79% Disability: ₹75,000 तक की Deduction
  • 80% या उससे अधिक Disability (Severe Disability): ₹1,25,000 तक की Deduction

उदाहरण: अगर एक Taxpayer 50% Locomotor Disability से प्रभावित है, तो वह ₹75,000 तक की Deduction क्लेम कर सकता है।

🔹6. Crypto, NFT जैसी Virtual Digital Assets की विस्तार से जानकारी देनी होगी

Tax Law: Budget 2022 में सरकार ने VDA (Virtual Digital Assets) पर 30% टैक्स लागू किया था।

नई व्यवस्था: अब VDA के प्रत्येक Transaction की जानकारी देनी होगी, जैसे:

  • खरीद और बिक्री की तारीख
  • कितने में खरीदा और बेचा गया
  • कितना मुनाफा या घाटा हुआ

इसका उद्देश्य: Tax Evasion को रोकना और Crypto Markets में पारदर्शिता बढ़ाना।

उदाहरण: अगर आपने ₹50,000 में एक NFT खरीदी और ₹80,000 में बेची, तो ₹30,000 का Profit Declare करना होगा और 30% टैक्स देना होगा।

🔹7. ₹50 करोड़ से अधिक Refund क्लेम करने वालों को देना होगा LEI

LEI – Legal Entity Identifier: यह एक 20-digit alphanumeric code होता है, जो बड़ी कंपनियों और संस्थानों की पहचान के लिए प्रयोग होता है।

नया नियम: अगर कोई Entity ₹50 करोड़ से ज़्यादा का Refund क्लेम करती है, तो उसे अपना LEI Number और उसकी वैधता की तारीख (Validity) भी देनी होगी।

फायदा: इससे High-Value Refunds की Monitoring बेहतर होगी और फर्जी क्लेम रोके जा सकेंगे।

🔹8. Presumptive Taxation – Non-cash Turnover पर बढ़ा हुआ Limit

Section 44AD (Business) और 44ADA (Professionals) के तहत Presumptive Taxation Scheme चुनने वालों को अब नए Limits का लाभ मिलेगा, यदि उनकी Cash Receipts कुल Turnover का 5% या उससे कम हैं।

नई सीमा:

  • Business (44AD): ₹3 करोड़
  • Profession (44ADA): ₹75 लाख

उदाहरण: यदि एक Architect का कुल Annual Income ₹70 लाख है और Cash Receipt केवल ₹1 लाख है (1.43%), तो वह Presumptive Scheme चुन सकता है और 50% Income पर ही टैक्स देगा।

🔹9. FIIs/FPIs को अब देना होगा SEBI Registration Number

Foreign Investors के लिए अब ITR-3 में SEBI से मिले Registration Number को भरना अनिवार्य कर दिया गया है।

मकसद: भारत में निवेश करने वाले विदेशी संस्थानों की निगरानी को सटीक और पारदर्शी बनाना।

उदाहरण: अगर कोई अमेरिकी Mutual Fund भारत में शेयर बाजार में निवेश करता है, तो उसे ITR फॉर्म में SEBI रजिस्टर्ड नंबर भरना होगा।

🔹10. Related Party से लिए गए Advances को Balance Sheet में स्पष्ट रूप से दिखाना होगा

पहले: Related Party Transactions को Balance Sheet में सामान्य रूप से Loans/Advances में दिखा दिया जाता था।

अब: ऐसे सभी Advances को अलग Section में "Advance from Related Parties" के रूप में दर्शाना होगा।

फायदा: यह बदलाव कंपनी के मालिक और उनके रिश्तेदारों के बीच होने वाले Transactions की पारदर्शिता बढ़ाएगा और टैक्स चोरी को रोकेगा।

✅ निष्कर्ष (Summary)

यह सारे बदलाव टैक्स प्रक्रिया को:

  • ज्यादा पारदर्शी (transparent)

  • ज्यादा सरल (simplified)

  • और ज्यादा तकनीकी रूप से मजबूत (digitally aligned) बनाने के लिए किए गए हैं।

यदि आप Business करते हैं, किसी Profession से जुड़े हैं, या Capital Gain, Crypto या Foreign Income Earn करते हैं, तो ITR-3 के ये सभी बदलाव आपके लिए बहुत ज़रूरी हैं।

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