जीएसटी अधिकारी नकदी जब्त नहीं कर सकते जब तक कि वह व्यापार में स्टॉक का हिस्सा न हो: High Court Ruling

जीएसटी अधिकारी नकदी जब्त नहीं कर सकते जब तक कि वह व्यापार में स्टॉक का हिस्सा न हो: High Court Ruling

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केरल उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह निर्णय दिया कि GST प्राधिकरण किसी सेवा प्रदाता के परिसर से नकद ज़ब्त नहीं कर सकते, जब तक कि वह Stock in Trade का हिस्सा न हो। यह मामला Centre C Edtech (P.) Ltd. v. Intelligence Officer, Office of Intelligence Unit, State GST Department, Kerala में आया।

यह मामला CGST/SGST Act, 2017 के Section 74 के तहत GST अधिकारियों की सीमाओं और Income Tax Act, 1961 के Section 132A के तहत नकद हस्तांतरण के प्रभावों को स्पष्ट करता है।

मामले की पृष्ठभूमि

तथ्य

  • GST विभाग ने Rs. 29,11,900/- और Rs. 10,58,860/- सेवा प्रदाताओं के परिसर से CGST Act के Section 74 के तहत ज़ब्त किए।
  • यह राशि बाद में Income Tax Department को Income Tax Act, 1961 के Section 132A के तहत स्थानांतरित कर दी गई।
  • करदाता ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी कि GST प्राधिकरण को नकद ज़ब्त करने का अधिकार नहीं है जब तक कि वह स्टॉक इन ट्रेड का हिस्सा न हो।

कानूनी मुद्दे

  1. क्या GST अधिकारी व्यवसाय परिसर से Section 74 के तहत नकद ज़ब्त कर सकते हैं?
  2. क्या ज़ब्त नकद को किसी अन्य विभाग में स्थानांतरित करना मूल ज़ब्ती को वैध बनाता है?
  3. GST कानून के तहत अवैध ज़ब्ती के क्या परिणाम हैं?

न्यायालय का विश्लेषण और निर्णय

1. GST अधिकारियों की नकद ज़ब्त करने की शक्ति: Section 74 विश्लेषण

CGST Act, 2017, GST अधिकारियों को Section 74 के तहत धोखाधड़ी, दमन, या गलत बयानी के संदेह में कार्यवाही शुरू करने का अधिकार देता है। हालांकि, यह कानून स्पष्ट रूप से नकद ज़ब्त करने की अनुमति नहीं देता जब तक कि वह स्टॉक इन ट्रेड का हिस्सा न हो।

न्यायालय ने Sabu George & Ors. v. Sales Tax Officer (IB) & Ors. जैसे पूर्ववर्ती मामलों का हवाला दिया, जिसमें यह निर्धारित किया गया कि GST अधिकारी तब तक नकद ज़ब्त नहीं कर सकते जब तक कि वह कर योग्य वस्तुओं या सेवाओं का हिस्सा न हो।

2. Income Tax Department को नकद स्थानांतरण की अवैधता: Section 132A IT Act

केरल उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि Income Tax Act, 1961 के Section 132A के तहत अवैध रूप से ज़ब्त नकद का हस्तांतरण भी मूल ज़ब्ती को वैध नहीं बनाता।

3. संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन: Article 265 & 300A

फैसले में भारतीय संविधान के Article 265 और 300A पर जोर दिया गया:

  • Article 265: "कानूनी प्राधिकरण के बिना कोई कर नहीं लगाया या वसूल किया जाएगा।"
  • Article 300A: "कोई भी व्यक्ति कानूनी अधिकार के बिना अपनी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा।"

अदालत ने GST विभाग की कार्रवाई को असंवैधानिक घोषित किया और ज़ब्त नकद की तत्काल वापसी का आदेश दिया।

फैसले से प्रमुख निष्कर्ष

1. GST अधिकारी नकद ज़ब्त नहीं कर सकते जब तक कि वह Stock in Trade का हिस्सा न हो

यह निर्णय स्पष्ट करता है कि GST कानूनों के तहत नकद को 'माल' नहीं माना जाता जब तक कि वह स्टॉक इन ट्रेड न होSection 74 के तहत नकद ज़ब्त करना अवैध है।

2. अवैध ज़ब्ती को ट्रांसफर से वैध नहीं बनाया जा सकता

यदि कोई अन्य सरकारी विभाग (जैसे Income Tax Department) ज़ब्त नकद की मांग करता है, तो भी मूल अवैध ज़ब्ती को वैध नहीं माना जा सकता।

3. व्यवसायों को अवैध ज़ब्ती को चुनौती देने का अधिकार है

करदाता Article 226 के तहत उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर सकते हैं यदि उनकी संपत्ति अवैध रूप से ज़ब्त की जाती है।

4. बिना ज़ब्ती के भी कार्यवाही जारी रह सकती है

अदालत ने स्पष्ट किया कि GST विभाग अपनी जांच Section 74 के तहत जारी रख सकता है, लेकिन अवैध रूप से ज़ब्त नकद को जब्त रखना उचित नहीं है।

अदालत द्वारा दिए गए अंतिम निर्देश

  1. Income Tax Department को 10 दिनों के भीतर नकद वापस करने का आदेश दिया गया।
  2. GST विभाग को निर्देश दिया गया कि वे अपनी कार्यवाही जारी रखें लेकिन नकद ज़ब्ती को वैध न मानें।
  3. Income Tax Act के Section 132A के तहत चल रही कार्यवाही जारी रह सकती है, लेकिन नकद ज़ब्ती को वैध नहीं माना जाएगा।

व्यवसायों और कर अधिकारियों के लिए मुख्य निष्कर्ष

व्यवसायों और करदाताओं के लिए:

✔ GST अधिकारी किसी भी परिस्थिति में Cash जब्त नहीं कर सकते, जब तक कि वह व्यवसाय के स्टॉक-इन-ट्रेड का हिस्सा न हो। ✔ अगर आपका Cash अवैध रूप से जब्त किया जाता है, तो आपको तुरंत कानूनी सलाह लेनी चाहिए और अदालत में चुनौती देनी चाहिए। ✔ व्यवसायों को अपने वित्तीय लेन-देन का पूरा रिकॉर्ड रखना चाहिए, जिससे किसी भी अनावश्यक जांच या जब्ती से बचा जा सके। ✔ यदि GST अधिकारी निरीक्षण के लिए आते हैं, तो उन्हें केवल कानूनी रूप से अनुमत दस्तावेज और इन्वेंट्री तक पहुंच प्रदान करें और किसी भी अवैध मांग का विरोध करें। ✔ अदालत द्वारा दिए गए इस फैसले को व्यवसाय जगत में एक मिसाल के रूप में देखना चाहिए और भविष्य में अपने अधिकारों को लेकर सतर्क रहना चाहिए।

GST और कर अधिकारियों के लिए:

✔ केवल उन्हीं संपत्तियों को जब्त करें जो CGST अधिनियम की धारा 74 और 67 के तहत स्पष्ट रूप से अनुमत हैं। ✔ GST जांच में जब्ती की कार्रवाई करने से पहले विधिक परामर्श लें और सुनिश्चित करें कि कार्रवाई कानून के अनुरूप हो। ✔ Income Tax विभाग और अन्य कर विभागों के साथ समन्वय बनाकर कार्य करें, लेकिन किसी भी अवैध जब्ती को वैध ठहराने के लिए गलत प्रथाओं का पालन न करें। ✔ अधिकारियों को करदाताओं के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और अपनी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। ✔ इस निर्णय को ध्यान में रखते हुए अपनी जांच प्रक्रियाओं को अद्यतन करें, ताकि भविष्य में ऐसे अवैध जब्ती मामलों से बचा जा सके।

निष्कर्ष

यह ऐतिहासिक फैसला करदाता अधिकारों को मजबूत करता है और सुनिश्चित करता है कि GST अधिकारी अपने कानूनी अधिकारों से अधिक कार्य न करें। व्यवसायों को अपने CGST कानून और संवैधानिक प्रावधानों के तहत कानूनी उपायों की जानकारी होनी चाहिए ताकि वे कर अधिकारियों की अवैध कार्रवाइयों से खुद को बचा सकें।

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