सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: Badam-Flavoured Milk पर केवल 5% GST लागू रहेगा
भारत के Supreme Court ने मई 2025 में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि Badam-Flavoured Milk (बादाम फ्लेवर्ड दूध) पर केवल 5% GST लगेगा और इसे Tariff Heading 0402 के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाएगा। यह निर्णय Revenue Department द्वारा दायर की गई Special Leave Petition (SLP No. 18877/2025) को खारिज करते हुए सुनाया गया।
इस निर्णय से न केवल flavoured milk निर्माताओं को राहत मिली है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि यदि किसी वस्तु की एक specific GST classification मौजूद है, तो वही मान्य मानी जाएगी, भले ही उसका नाम या स्वाद थोड़ा बदल दिया गया हो।
🏛️ केस का पृष्ठभूमि (Background)
🎯 याचिकाकर्ता कौन थे?: M/s Sri Vijaya Visakha Milk Producers Co. Ltd., जो कि GST Act के तहत पंजीकृत है, आंध्र प्रदेश में Badam-Flavoured Milk का निर्माण और व्यापार करती है। यह दूध स्थानीय और बाहरी दोनों बाजारों में बेचा जाता है।
📌 मामला क्या था?: कंपनी ने अपने GST Returns में उत्पाद को Tariff Heading 0402 99 90 (“Milk containing sugar or other sweetening matter”) के अंतर्गत रखा, जिस पर 5% GST लागू होता है। लेकिन Revenue Department ने इसे Heading 2202 99 30 (“Beverages containing milk”) के अंतर्गत रखने का आदेश दिया, जिससे यह 12% GST के दायरे में आ जाता।
इसके साथ ही, विभाग ने कंपनी के खिलाफ Section 74 (Fraudulent evasion of tax) और Section 122(2)(b) के तहत penalty और tax demand जारी कर दिए।
🔬 उत्पाद की संरचना और तकनीकी पहलू
कंपनी
ने यह दावा किया
कि:
- Milk
content: लगभग
90.5%
- Sugar:
लगभग 9%
- Flavours
और colours:
केवल 0.5%
इस उत्पाद में मिलाए गए
बादाम फ्लेवर और रंग Food Safety and Standards (Food Products
Standards & Food Additives) Regulations, 2011 के अनुसार
स्वीकृत हैं, और इतने
कम प्रतिशत में मिलाए गए
पदार्थ किसी भी हालत
में दूध की मूल
प्रकृति को नहीं बदलते।
📚 अतिरिक्त तर्क:
- GST
Tariff Notifications में
0402 heading को
sweetened, condensed और
flavoured milk के
लिए उपयुक्त माना गया है।
- HSN Explanatory Notes के अनुसार भी यह उत्पाद milk based product ही रहता है।
⚖️ Andhra Pradesh High Court का फैसला
High Court of Andhra Pradesh ने कंपनी
के पक्ष में फैसला
सुनाते हुए कहा कि:
"जब
कोई specific
heading (0402) किसी
वस्तु को स्पष्ट रूप
से कवर करती है,
तो उसे general heading
(2202) में रखना गलत है।"
जस्टिस R. Raghunandan Rao और Maheswara Rao Kuncheam की बेंच ने विभाग द्वारा की गई tax recovery और penalty को निरस्त कर दिया।
🏛️ Supreme Court में चुनौती और अंतिम निर्णय
Revenue Department ने
इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट
में चुनौती दी और कहा
कि यह उत्पाद एक
"milk-based beverage" है
और इसे Heading 2202 के तहत टैक्स
किया जाना चाहिए।
लेकिन
सुप्रीम कोर्ट ने:
- SLP
(Civil) No. 18877/2025 को
खारिज किया,
- और कहा कि High Court का निर्णय पूरी तरह से well-reasoned and
correct है।
🔍 सुप्रीम कोर्ट की मुख्य टिप्पणियाँ:
- Essential
Character Test: सिर्फ
0.5% फ्लेवर जोड़ने से उत्पाद की मूल प्रकृति नहीं बदलती।
- Specific vs. General Entry: यदि कोई वस्तु specific heading में आती है, तो उसे general heading में डालना कानूनन गलत है।
📈 उद्योग और बाजार पर असर
✅ Dairy Sector को लाभ:
- Tax
Rate Clarity: अब
flavoured milk उत्पादों
पर 5% GST ही लागू होगा, जिससे कीमतें स्थिर रहेंगी।
- Cost
Advantage: 12% GST की
तुलना में 5% टैक्स से उत्पाद सस्ता रहेगा और बिक्री बढ़ेगी।
- Legal
Certainty: इस
निर्णय ने भविष्य में इसी तरह के विवादों से बचने का मार्ग प्रशस्त किया है।
✅ FMCG Industry के लिए दिशा-निर्देशक:
- अब अन्य flavoured milk
उत्पाद जैसे rose, kesar,
elaichi milk भी
0402 heading में आ सकते हैं, बशर्ते उनकी संरचना मिलती-जुलती हो।
✅ Compliance आसान:
- अब कंपनियाँ बिना डर के इस वर्गीकरण का पालन कर सकती हैं और input tax credit और tax planning बेहतर ढंग से कर सकती हैं।
📌 निष्कर्ष
Badam-Flavoured Milk को
लेकर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला
न केवल कर निर्धारण
में स्पष्टता लाता है, बल्कि
यह भी दर्शाता है
कि केवल नाम या
स्वाद के बदलाव से
उत्पाद की कर श्रेणी
नहीं बदलती।
यह निर्णय भविष्य में GST classification
disputes को सुलझाने में मार्गदर्शन प्रदान
करेगा और यह सुनिश्चित
करेगा कि substance over form
principle लागू हो।